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बहुत बदल गई हो......... और तुम????

  हे ईश्वर ये देखिये : मेरा फोन क्यूँ नहीं उठाया ? कोई मिलने आया है क्या ? हाँ ,   हाँ वहाँ तो बहुत से होंगे न!! आज से तुम अपने रास्ते और मैं अपने..... मुझे खुशी होगी अगर तुम्हें जीवनसाथी मिले...... और मास्टर स्ट्रोक : कोई मिल गया हो और तुम उसके साथ रहना चाहती हो तो बता देना मुझे.... मैं फिर कभी बताऊंगा तुम्हें कि जो मैंने कहा वो क्यूँ कहा!! अच्छा! तो नए परिवेश के साथ मुझ पर बदलता मौसम होने का इल्ज़ाम बड़ी जल्दी लगा दिया तुमने. हाँ! मैंने तो सोचा था कि तुम सब खत्म करना चाहते हो ,   मुझसे पीछा छुड़ाना चाहते हो ,   मुझसे दूर जाना चाहते हो !   फिर भी मैं बस खामोश रहती थी। अगर बात होती थी तो कर लेती थी और नहीं तो न सही !   सबका एक ही सवाल है मुझसे मैं खामोश क्यूँ रहती हूँ ?   कभी कुछ कहती क्यूँ नहीं ?   तुम्हें छोड़ क्यूँ नहीं देती ?   तुमसे दूर क्यूँ नहीं चली जाती ? न जाने कितने सवाल और जवाब सिर्फ एक है....मेरी खामोशी! ...... क्यूंकि अब मेरे पास तुमसे कहने के लिए अलफाज़ नहीं है। याद है जब आँसू आ जाते थे मेरी आँखों में तुमसे दूर होने के ख्याल से ही। आँसू आज भी आते हैं पर तु