मेरी बला से

 हमारी पहली व्यंग्य रचना। ये पूरी श्रृंखला गरिमा मैम को डेडिकेट कर रहे। रोस्ट का आईडिया उन्होंने ही दिया। इस मामले में गुरु हती हमाई वो। यकीन नहीं होता तो पढ़ो कनपुरिया रोस्टर।कनपुरिया रोस्टर फिलहाल प्रतिलिपि पर नहीं है। पर वो जल्दी ही वापस लौटेगी। तब तक आप गरिमा मैम की और रचनाएं पढ़िए जैसे अरित्रा, white rose, My culprit brother आदि...

विद्या बालन मैम के शब्दों में

Gooooooooood Eeeeeeeevening peeeeeople

(अपने मन में इसका ऑडियो आप प्ले कर लो भाई। प्रतिलिपि watsapp थोड़ी है जो text के बीच में ऑडियो बजेगा 😉😉😉😉)

हां तो साहिबान मेहरबान कदरदान
बाजू में हमारे है पान की दुकान 📢📢📢

धत यार! राइम तो सही है पर लाइन बेकार। कोई बात नहीं मेरे प्रिय पाठकों। गणित में माना जाता है न इसलिए आप लोग भी मान लो। ऊपर की लाइन हनी भैया का अगला गाना है। क्या है कि न उनके गाने की तरह इस लाइन का भी सिर और पैर कहीं गायब है 🤣🤣🙃🙃

कुछ दिन से हमको अइसा फीलिंग आ रहा है न कि हमरा टॉप का माला ओवरटाइम करने लगा है। 🤔🤔🤔

तभी तो अंकु मैम और गरिमा मैम के पोस्ट और कहानी पर दे कमेंट दे कमेंट... 😏😏इसी में धरे गए हैं भाई हम...क्या बताएं भइया मेरे मुंह से निकल गई...😅😅तो गरिमा मैम ने suggest किया कि हम बनाएं रचना तंदूरी...मने Roast🍗🍗।

मैम ने कही थी तो बात तो रखनी थी। इसलिए try तो हम मारेंगे भाई।🤓🤓

अरे यार फोन का ऑटो करेक्ट भी एकदम कमाल है। जितनी बार हां लिखने चलो उतनी बार हानुल लिखने लगता है। इसका बस चले तो आज की जगह आव्या और अब की जगह अभिनम्य ( नालायक ने अधिनम्य लिख दिया था! गरिमा मैम ने बताया) दिन भर लिखा करें हम। 🤦🤦🤦🤦

खैर आज शाम को हम देख रहे थे इंडियन आइडल। सही बताएं तो इसका नाम बदल कर इंडियन बेडौल रखने में कोई बुराई नहीं है। क्या है कि न यहां गाना छोड़ के सब कुछ होता है। फोन पर बात तो ऐसे करवाते हैं जैसे कंटेस्टंट  बेचारों के नेट पैक ही महीनों से खत्म हों। उसके बाद भी मन न भरे तो गाने के बीच में ही साथ में गाने के लिए भक्तगण (सॉरी जज कहने जा रहे थे पर ज़ुबान बेचारी फिसल गई ) की आह वाह गाने से ज़ादे तेज़ सुनाई देती है। अब आप अपने लॉयल्टी टेस्ट में पास होने के लिए किसी तरह प्रोग्राम से जुड़े भी रहें तो ' मौसम बदल दिया' सुन कर ऐसा लगता है जैसे हमारे कानों का मौसम ही बिगड़ गया हो 🙉🙉🙉🙉

कानों के बिगड़े मौसम को सही करना था तो हमने सोचा चलो कोई नहीं..कोई सीरियल ही देख लेते हैं। 🌫️🌫️🌫️से गिरे 🌴🌴 में अटके शायद इसी दिन के लिए लिखा गया था । एक चैनल खोला तो 20 हज़ार बार नसीबा खड़ा था और खुशियां रूसी ( डेंड्रफ नहीं रे! मेला बाबू गुच्छा है) वाला रूसी जा रही थी । दूसरा बदला तो दुल्हन बेचारी पार्लर से ही किडनैप हो रही थी। फिर से चैनल बदलने की हिम्मत नहीं हुई भाई लोग। यही सब मनोहर कहानियां देख देख कर न हमने शादी नहीं की डर के मारे। क्या पता कोई मुझे भी पार्लर से उठा ले जाता तो! मज़ाक कर रहे हैं यार। इस 4 फुट नौ इंच की (अ) बला को कौन ले जाएगा भला।

न ले जाए तो न ले जाए हमारी बला से!

बाकी कल या परसों ....क्या है कि अपना उसूल है:

आज करे सो काल्ह कर काल्ह करे सो परसों..
इतनी जल्दी क्या है भाई जब जीना है बरसों।

सिर्फ और सिर्फ अपनी खुद की
फीलिंग्स





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